बढ़ती ख्वाहिशों के साथ एक सिमटता शहर, अधूरे सपनों के साथ एक जुड़ती डगर मुंबई, बस एक शहर ! बढ़ती ख्वाहिशों के साथ एक सिमटता शहर, अधूरे सपनों के साथ एक जुड़ती डगर मुंबई, ...
मैं अनजान बना लोगों में सब कुछ खोकर कुछ नहीं पाया। मैं अनजान बना लोगों में सब कुछ खोकर कुछ नहीं पाया।
थकी - थकी - सी है यह बेज़ार ज़िंदगी अब इसे थोड़े आराम की ज़रूरत है पसीने - पसीने हो गई है जल - जल के..... थकी - थकी - सी है यह बेज़ार ज़िंदगी अब इसे थोड़े आराम की ज़रूरत है पसीने - पसीने ह...
लगा जैसे मैं और भी बौनी हो गई हूँ। लगा जैसे मैं और भी बौनी हो गई हूँ।
जवाब मिलता नहीं, भटक रहे कब से तलाश ही बस रह गयी, अब सवाल क्या कहें ! जवाब मिलता नहीं, भटक रहे कब से तलाश ही बस रह गयी, अब सवाल क्या कहें !
मैं कर रही हूं पलायन एक अन्य बगीचे की ओर यहां तो लटक रहें हैं शब्दों के शव। मैं कर रही हूं पलायन एक अन्य बगीचे की ओर यहां तो लटक रहें हैं शब्दों के शव।